Wednesday, March 10, 2010

विगत बर्षों में मैंने चौपाल को मरते देखा है..........अरशद अली

चौपाल बर्चस्व की लड़ाई का प्रतीत सदेव बना है
हर बार दो गुटों में समझौता करवाते पंचों में बैठे चौधरी जी सदेव बड़े न्यायी दिखे हैं
बन्दर वाला ग्याहे -ब्याहे दुग्दुगी बजा चौपाल पर भीड़ लगा हीं लेता है
चौपाल हर बार दुर्गापूजा में सज-धज कर चमक दमक में अपनी मटमैली पहचान खो हीं देता है
चौपाल गवाह बन हीं जाता है जब भी कुछ नया होता है
कई बार चौपाल न्याय को प्रकाष्ठा पर पहुचने का स्थान भी बना है
गावं में पकडे गए चोरो का कई बार यहाँ अपमान भी हुआ है
जाने यहाँ कितनी लड़कियों की ब्याह की बातें हुईं हैं ,जाने कितनों की बारातें टिकी हैं
और इसी चौपाल पर पुष्प भी तो चढ़ाया है हम सभी ने गावं के उस बीर शहीद के पार्थिव शारीर पर,जिसने कई गोलियां खाई थी रणभूमि में इस मात्रभूमी के लिए
इसी चौपाल पर नेताओं के लम्बे भाषणों को न समझते हुए भी हम ग्रामीणों ने सुना है
वोट खरीदने वालों ने कई बार ग्रामीणों को पैसा देकर मतलब के नेताओं को चुना है
कई बार होलिका दहन में दोनो समुदाय के ग्रामीणों ने भाईचारे के लिए प्रण किया है
पर चौपाल पर हीं कुछ असामाजिक तत्वों ने शांति-भाईचारे के प्रण को तोड़ दिया है

अब चौपाल अंजना सा लगता है
अब चौधरी जी की आवाज़ फसी सी लगती है सामुदायिक अशांति को शांत करवाने में
अब तो चौपाल पर विवाद और सैनिक जमावड़ा है
अब अपना चौपाल,चौपाल कहाँ है
अब तो मुन्नी बाई भी चौपाल पर नाचना नहीं चाहती जहाँ कुछ साल पहले तक पैसे बरसाए जाते थे मुन्नी बाई के कला पर
अब चौपाल,चौपाल कहाँ है जहाँ दीपावली में दोनों समुदाय द्वारा दिए जलाये जाते थे
अब तो चौपाल पर लोगों को डरते देखा है
विगत बर्षों में मैंने चौपाल को मरते देखा है......


---अरशद अली---

6 comments:

पूनम श्रीवास्तव said...

ab choupal pahale ki bhanti lag te bhi kahanhain.pahale gauoon me choupalaayedin laga karate the chahe ghareloo vivad ho ya gaoun ke jhagade.ab to choupal kewal t.v. siriyeloo tak mebhi yada kada hi dikhalaae padate hai.
poonam

Parul kanani said...

sahi keha poonam ji ne..

kshama said...

Jahan bahut kuchh badla wahan chaupal bhi badle..halaki yah afsos kee baat hai.

सम्वेदना के स्वर said...

बचपन में आकशवाणी पटना से चौपाल कार्यक्रम के अंतर्गत बच्चों के प्रोग्राम घरौंदा से जुड़ा और आज कलम का हर कमाल और कलाम उस चौपाल का कर्ज़ है... बचपन की गलियों की सैर कराने का शुक्रिया..

सम्वेदना के स्वर said...

कृपया बलॉग पोस्ट करने के पहले पढ़कर तसल्ली कर लें... टाईपिंग की खामियों की वज़ह से पढने में बाधा होती है..

Dr.Dayaram Aalok said...

परंपरा से चौपाल विवाद सुलझाने का मंच है लेकिन अर्शदजी ,आप बिल्कुल ठीक लिखते हैं कि आज की चौपाल अपने उद्देष्य प्राप्त करने में कामयाब नहीं हो रहीं हैं। बढिया लेख के लिये बधाई!