Wednesday, November 29, 2017

सीढियां उपर जाने के लिए होती हें ..........अरशद अली


उनका मर जाना, सहज एक घटना थी।
उम्र के इस पड़ाव पर उन्हें मरना हीं  था।

कुछ लोग उनके  की नहीं रहने पर
होने वाली समस्याओं को अन्यथा में लेंगे।

कुछ साथ देने का आडम्बर रचेंगे। 
कुछ कर्म कांड में ब्यस्त रहेंगे।

सीढ़ी से गिर गयी थी माँ, उसी सीढ़ी से.....
जिसे पिताजी ने उपर जाने के लिए बनवाया था।

सीढियां उपर जाने के लिए होती हें,
और निचे उतरने में भी मदद करती हें।

मगर कुछ सीढियाँ मात्र उपर ले जाती हें।
निचे आने की संभावनाओं को समाप्त करते हुए।

परिवार और सरकार के फाइल में माँ का घटाव हो चूका है,
पता तब चला जब पिताजी का पेंसन आधा हो गया।

मात्र पेंसन आधा नहीं हुआ , पेंसन आधा होते हीं
उनकी सुविधाएँ भी आधी हो गयी।

माँ का जाना सुखद रहा उनके लिए
जो बिछावन पर उनके जीवन को बोझ समझते थें।

परन्तु पिताजी जैसे आनाथ हो गए
4 बजे उठाना, काली  चाय,सब माँ के बदौलत था।

अन्यथा अन्य कहाँ समझ पातें हें उनकी आवश्यकता
अब वो भारी लगते हैं,और एक पहेली भी।

वो कभी माँ को भूल नहीं पाते
जबकि उनकी याददास्त बेहद कमजोर हो चुकी है।

उनका जूता पालीस करने वाला 50 रूपया लौटा गया मुझे
यह कहते हुए चाचा जी पैसा दे चुके थे पुनः दे गए।  

चाचा जी को अपने याददास्त पर गर्व है।
मैंने उनके गर्व को टूटने नहीं दिया, पैसा रख लिया।

आज माँ का नाम लेकर चिल्ला रहे थे।
बहुद दिनों से हवन नहीं करवा रही हो ..कब होगा ??

थोड़ी देर बाद एकदम मौन हो गए,
शायद शोक मना  रहे थे माँ के नहीं रहने का।

पिताजी ने हर दुःख सुख को माँ के साथ जिया है।
जाने कितनी बार माँ में उनके ज़ख्मों को सिया है।

सीढियां उपर जाने के लिए होती हें.......
सीढियां उपर जाने के लिए होती हें.......

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=====अरशद अली======

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Thursday, November 23, 2017

फासलों के लिए एक दीवार होना चाहिए।.......अरशद अली

बेवजह लड़ने का इल्म
भी मेरे यार होना चाहिए ।

सामने से आये कोई
तो वार होना चाहिये ।

टालना मैंने नही सीखा
किसी बात को

सवाल पर जवाब का
प्रहार होना चाहिए ।

बेशक अमन कीमती
 है किसी घर के लिए

फासलों के लिए
एक दीवार होना चाहिए।

जंग जितने का हुनर
एक हीं है "अली"

सर कटाने को
हमेशा तैयार होना चाहिए।

अरशद अली